जो खतरे में मेरी रगे जाँ नहीं है
तो इसका है मतलब बहारां नहीं है
ये है रौशनी का अधूरा तसव्वुर
ये सूरज है ऱुखसारे ताबां नहीं है
चटख हो रही हैं अदाएं तुम्हारी
सलामत जहाँ भर का ईमां नहीं है
यहाँ फूल खिलते हैं उसकी नज़र से
ये उसका है घर ये गुलिस्तां नहीं है
इशारे कहीं और से मिल रहे है
मेरे बस में मेरा गरीबां नहीं है
उठा मौजे रानाई हमको डिबो दे
समंदर वो क्या जिसमें तूफाँ नहीं है
तुम उस तक न पहोंचे अलग है ये किस्सा
मगर यार तुमसे गुरेज़ां नहीं है
वही सादगी जानलेवा है ज़्यादा
जो आराइशे रुए जानाँ नहीं है
गुलों का तबस्सुम यही कह रहा है
हसीनों की उल्फत नुमायाँ नहीं है
सुहैल उसके दिल में तो झांको ज़रा सा
वहां हश्र का कौन सामां नहीं है
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - सुहैल काकोरवी
रगे जाँ =जीवन धमनी, बहारां=शरद ऋतु, गुलिस्तां=बाग़, ईमां=धार्मिक विश्वास, रानाई=सौंदर्य, गुरेज़ां=भागना, बेपरवाह होना आराइशे रुए जानाँ= प्रेयसी का श्रृंगार, तबस्सुम =मुस्कान, उल्फत= प्रेम, नुमायाँ=स्पष्ट, हश्र=प्रलय, सामां =प्रबंध
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