किसकी किस्मत मे सारा जहान होता है
कोई हँस कर सोता है कोई रोकर सोता है
सुबह का सूरज सबका एक सा होता है
धूप छांव अपने हिस्से खुद ही बटोरता है
वक़्त की तख़्ती पर हर तक़्दीर लिखी जाती है
स्याही वो अपने हिस्से की खुद ही चुनता है
कोई हंस कर सोता है कोई रोकर सोता है
पौध रंगों की आसमान में खुद ही रोपता है
क्यों लाचारगी का ठीकरा परवरदिगार पर फोड़ता है
सबकी किस्मत में लिखा उसने सारा जहान होता है
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