माँ और पिता Poem by Larika Shakyawar

माँ और पिता

खुद के ऐशो आराम भुला कर
पलकों पर बैठाया जिन्होंने,
सफलता की ऊंचाइयों को छूने का
जज्बा जगाया जिन्होंने,
ईश्वर से भी बढ़कर जिन्हें
माना गया हैं संसार में,
बात मानना जिनकी कर्तव्य हमारा है,
हम बच्चे हैं जिनके, उन अनमोल
माँ पिता का सम्मान सर्वोपरि​ है।

Tuesday, June 20, 2017
Topic(s) of this poem: parents
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Larika Shakyawar

Larika Shakyawar

Rajgarh M.P., India
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