रँग Poem by Jaipal Singh

रँग

जब तुम थे
मेरे आस पास जीवन में
खुशी थी, सुख था, रंग थे
जैसे हो कोई इंद्रधनुष
स्थायी जीवन में॰

आज भी याद है मुझे
तुम्हारे रोज बदलते परिधान
वो गुलाबी और नीले रंग
बन गए थे मेरे भी पसंदीदा
बस जाने अंजाने में॰

फिर एक दिन
तुम छोड़ गए मुझे
साथ ले गए सारे रंग भी
कुछ भी न बचा इस जीवन
और व्याकुल मन में॰

अब मुझे पसंद हैं रंग
बस काले और सफ़ेद
सफ़ेद रखता है निर्मल और शांत
काला एक अच्छा है छलावरण
भावनावों और दर्द में॰

Monday, January 13, 2020
Topic(s) of this poem: emotions
COMMENTS OF THE POEM
Kaushal Agrawal 01 February 2020

बहुत सुंदर सर।

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