आज कुछ खास है
आज तो फिजाऐ बदली-बदली हैं,
अलमस्त सुनहली धूप धरती पे है,
कुछ तो खास है,
हवाऐ महंकी-महंकी,
फूलों की रंगत देखने लायक है,
उन पर मंडराते भौरे,
आगमन तितलियों का,
आज को खास बनाता है,
फर्क लम्हों का है,
मौसम का मिजाज आशिकाना हैं,
कल भी वो आए थे,
आज भी वो आए हैं,
कल उड़ी-उड़ी रंगत,
आज वादी निखरी-निखरी है ।
कल काली बदली आसमान में,
आज वो नदारत है,
फिजाऐं बदली-बदली,
अलमस्त सुनहरी धूप है,
न जाने कभी-कभी क्या हो जाता है?
गमों का रिश्ता खास हो जाता है,
आशाऐं निराशाओं मे बदल जाती है
आसमान की रंगत डरावनी हो जाती है,
परंतु आज तो आज है,
उम्मीदों की डगर सामने है,
जिधर भी नजर दौड़ाओ,
फाग की मस्ती सिर चढ़कर बोल रही है,
उम्मीदों का बादल
आसमान में भी तैर रहा है ।
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