नया साल आ गया Poem by vijay gupta

नया साल आ गया

"नया साल आ गया"

जशन भी मन गया,
साल भी चला गया,
उम्मीदें परवान चढ़ गई,
नया साल जो आ गया,
कलियाँ जवाँ होने लगी,
पवन मस्त मस्त बहने लगा,
पक्षियों का कलरव
कुछ कहने लगा,
लो नया साल आ गया,
नया साल आ गया।
पत्ते पुराने पड़ने लगे,
नई-नई कोपलें उभरने लगी,
नये साल के जशन में,
प्रकृति भी मुस्कुराने लगी,
खिलने लगे बाँस और बेला,
बहार उजड़े चमन पर आने लगी,
बागबान खिला खिला रहा,
नए-नए जतन वो कर रहा,
नए साल के स्वागत में,
एक नई इबारत को लिख रहा,
फूल रही सरसों,
चेहरे किसानों के खिलने लगे,
फाग की मस्ती,
अभी से छाने लगी,
ऋतुराज बसंत
दस्तक पर दस्तक दे रहा,
फलगू खुश है घर में बिजली आ गई,
सिलेंडर गैस का ₹6 सस्ता हो गया।

Wednesday, January 2, 2019
Topic(s) of this poem: new year
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 02 January 2019

One year has passed away. New year has arrived. We have broader aspects and beautiful sensation to motivate mind. An interesting best wish poem is beautifully penned. An excellent sharing is done really.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
vijay gupta

vijay gupta

meerut, india
Close
Error Success