तू बाहों में मेरे अपनी जवानी रखा कर Poem by Nageshwar Panchal

तू बाहों में मेरे अपनी जवानी रखा कर

मेरा हर काम तेरी हुकूमत से होता है
मेरी अंगड़ाई की तू निगरानी रखा कर
में हर वक़्त हर पल तेरे साथ रहता हु
तू करवट बदलने में सावधानी रखा कर
वफाओ का तालुक तो बस दिल से है
तू दिल में अपने कुछ तूफानी रखा कर
लोग मुझे फिर ४२० और आवारा कहने लगे
कहते है तू जूता जापानी रखा कर
तेरे हुस्न का राज समझना नही है मुझे
तू बाहों में मेरी, अपनी जवानी रखा कर
आदमी की हेसियत लिबास से नापने लगे है
दोस्त कहते है मेरे तू कुरता अरमानी रखा कर

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