दो मूह वाली चिड़िया Poem by Alok Agarwal

दो मूह वाली चिड़िया

अंतर्द्वन से उपजी मन मे एक व्यथा| क्या बताएं, किसको बताएं, सोच रही थी चिड़िया| थे उस चिड़िया के दो सिर और दो दिमाग, दोनों की थी सोच अलग|

वन मे विचरते-विचरते उसने देखा की एक शेर एक हिरण का शिकार कर रहा है| हिरण दर्द से कराह रहा है, उसके प्राण देखते ही देखते चले गए| लाज न आई उस शेर को| उसने मार दिया निरपराध जानवर को| संसार की ये कैसी रचना की भगवान ने| शेर की भूख भी मिटानी है और हिरण की भी जान बचनी है, ऐसी युक्ति सोचने मे विवश हो ज्ञी दो मुखी चिड़िया|

एक ने कहा की देते है सूझाव शेर को घास खाने का; दूसरे ने कहा देते हैं हिरण को सुझाव ऐसे जंगले मे जाने का जहां शेर न हो| दोनों मे हुई खूब खींचा-तानी| सोचते-सोचते दोनों पहुंचे साधु के पास| जाकर किया आग्रह, "हे प्रभु, निवारण करो हमारी समस्या का|"
साधु ने समझी उनकी हृदय के पीड़ा और कहा, "हे कोमल हृदय के पक्षी, जो आपके मन मे प्रश्न है मैं उसका खूब आदर करता हूँ| परंतु, ये धरती माँ का परम सत्य है - की संसार मे जो भी प्राणी जन्म लेता है उसको प्रकृति के नियम का पालन करना पड़ता हैं| चाहे वो शेर हो या हिरण वो सब इसी नियम से बंधे हुए हैं| अगर शेर हिरण को नही खाएगा, तो हिरण की आबादी बढ़ती जाएगी, घास कम होती जाएगी, और न ही शेर रहेगा और न ही हिरण||"

सुनकर ऋषि की बात संतवना तो मिली दो मुखी पक्षी को परंतु पूर्ण शांति की अभी भी थी कमी| किया विचार दोनों ने और बुलाई जंगल मे एक बैठक| हुए सब शामिल और मिलकर निर्णय लिया की बनाएँगे जंगल मे भी एक कानून| उस कानून की रक्षा के लिए चुनेंगे एक राजा| सर्व-सम्मति से हुआ ये ‘Paas'| सब तरफ था उल्लास की जंगल का होगा एक राजा जिसकी सब करेंगे अनुपलना, न होगी कभी अन्न की कमी न होगा कोई प्यासा, न ही किसी का होगा शिकार, होगी सब तरफ शांति और समृद्धि|

दो मुखी पक्षी ने रखी अपनी बात, कहा की चुनो अब अपना राजा, जो बनाएगा हमारा कानून| सब पद ज्ञे सोच मे की राजा के क्या गुण होने छहिए - राजा बलवान होना चाहिए, या फिर राजा बुद्धिमान होना चाहिए, या फिर अत्यंत परोपकारी| मन के इस अंतर्द्वन से एक बार फिर उपजी दो मुखी चिड़िया मे व्यथा| दिया सुझाव, करो चुनाव| बनाई सूची भावी नेताओं की - खड़े थे उसमे सियार, लकदबघे और शेर|

हुई जंगले मे तयारी जोरों-शोरों से| हिरण भी था, मेढक भी और निरीह चींटी भी| हुआ मतदान| आया नतीजा|

थी जंगल मे अब शेर की सरकार, मंत्री बने सियार| बना जंगले मे ये कानून की अब से हिरण खुद चलकार आए अब शेर के पास, ताकि राजा पर न लगे निरपराध हिरण हत्या का दोष| और क्यूंकी संसार मे कहीं भी दो मुखी चिड़िया भी है, और सारे जानवरो के बच्चे उसको देख के डरते हैं, तो न्यि सरकार के उत्थान के लिए सर्व-प्रथम दो मुखी चिड़िया की बलि दी जाएगी, ताकि शेर-वंश की ख्याति जन्म-जन्मांतर तक चलती रहे|

Saturday, September 14, 2019
Topic(s) of this poem: life
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Alok Agarwal

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