बारिश की शरारत के शिकार,
प्यार में डूबे दो दिल ज़वा,
छत्री के नीचे सहमे से,
दो जिस्म एक जाँ
कभी गिरते, कभी संभलते,
कभी गिराते, कभी संभालते
एक छत्री के नीचे दोनों,
एक दूसरे से दूर भागते.
पर यह बारिश का ही जाल है,
जो हमें जकड़े है,
इस जमती सर्द हवाओं में,
हम दोनों ने हाथ पकडे है.
तभी हवा का रुख हुआ तेज़,
और छत्री जा गिरी दूर,
बारिश की उन बूंदों ने किया जादू,
प्यार के सागर में हम डूबे होकर मजबूर.
एक दूसरे की बाहों में डूबे,
बारिश का असर अब किसनें जाना,
हवाओं की ठंडक हुई अदृश्य,
गरम साँसों का शुरु था आना-जाना.
तभी बारिश का खेल हुआ ख़तम,
हवाओं ने भी दम तोडा,
जब हमारी गर्मी से जली सर्दी,
तब जाके हमने खुद को छोड़ा.
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