A-131 आइना देखा न करो 26-7-15 8.50 AM
यूँ बदल बदल के, आइना देखा न करो
कहीं आइने को ही तुमसे प्यार न हो जाये
तूँ मुस्कराये तो मोती भी कम पड़ जाये
कहीं उसका दिल बेकरार न हो जाये
तूँ मुस्कराये तो फूल खिलते जाते हैं
कहीं उसको कोई मलाल न हो जाये
खूबसूरती की बला है तूँ और तेरा हुस्न
देखना आइने को ऐतराज़ न हो जाये
तेरे पग घुँगरू भी खूब जचते हैं
तेरे घुंगरुओं से प्यार न हो जाये
तूँ बहुत हसीं है हसीना है तूँ
तुमको देखकर कहीं उसको न बुखार हो जाये
तेरा कमर लचका का चलना तौबा मेरी
देखना चाल उसकी न कहीं खराब हो जाये
बन सँवर के यूँ न निकला करो
कहीं कोई और बवाल न हो जाये
तूँ तो मटक के निकल लेती है
कहीं उसका न बुरा हाल हो जाये
तेरे नयन शराबी झूमते हैं जब कहीं
उसकी मदहोशी पर कोई सवाल न हो जाये
तुम तो आइना भी बदल लोगी
कहीं उसको इंकार न हो जाये …. कहीं उसको इंकार न हो जाये
Poet; Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
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