A-213 दिल से दिल की बात करो Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-213 दिल से दिल की बात करो

दिल से दिल की बात करो
न तुम बरसो न बरसात करो
प्यार के चंद लमहों को देखो
केवल उनका ही इजहार करो

दर्द अपना न छुपाओ कोई
खुल कर तुम भी बात करो
फूल सुगन्धित खिल आते हो
फूलों की तरह बरसात करो

क्या रखा है बेरुखी बातों में
शिकायतों का निस्तार करो
वो तुमको ही खाते रहते हैं
कुछ नया नया ईज़ाद करो

दिल से दिल की बात करो
न तुम बरसो न बरसात करो
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"

A-213 दिल से दिल की बात करो
Sunday, December 4, 2016
Topic(s) of this poem: love,motivational,relationships
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