A-246 मेरी माँ Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-246 मेरी माँ

A-246 मेरी माँ 2.3.17- 4.55AM

मैं माँ के क़रीब था कि माँ मेरे क़रीब थी
पर इतना पता है कि माँ क़रीब थी

मैं माँ का नसीब था कि माँ मेरा नसीब थी
पर इतना पता है कि माँ नसीब थी

मैं माँ का प्यारा था कि माँ मेरी प्यारी थी
पर इतना पता है कि माँ प्यारी थी

मैं माँ का दुलारा था कि माँ मेरी दुलारी थी
पर इतना पता है कि माँ दुलारी थी

मैं माँ का परिहार था कि माँ मेरी परिहार थी
पर इतना पता है कि माँ परिहार थी

मैं माँ की चिंता था कि माँ मेरी चिंता थी
पर इतना पता है कि माँ चिंता थी

मैं माँ को खेलाता था कि माँ मुझे खेलाती थी
पर इतना पता है कि माँ खेलाती थी

मैं माँ का सगा था कि माँ मेरी सगी थी
पर इतना पता है कि माँ सगी थी

मैं माँ का सच था कि माँ मेरा सच थी
पर इतना पता है कि माँ सच थी

मैं माँ का प्राण था कि माँ मेरी प्राण थी
पर इतना पता है कि माँ प्राण थी

मैं माँ का अभिमान था कि माँ मेरा अभिमान थी
पर इतना पता है कि माँ अभिमान थी

मैं माँ का हमदर्द था कि माँ मेरी हमदर्द थी
पर इतना पता है कि माँ हमदर्द थी

मैं माँ का संसार था कि माँ मेरा संसार थी
पर इतना पता है कि माँ संसार थी

मैं माँ का इमान था कि माँ मेरी इमान थी
पर इतना पता है कि माँ इमान थी

मैं माँ का पहचान था कि माँ मेरी पहचान थी
पर इतना पता है कि माँ पहचान थी

मैं माँ को खिलाता था कि माँ मुझे खिलाती थी
पर इतना पता है कि माँ खिलाती थी

मैं माँ का फ़र्ज़ था कि माँ मेरा फ़र्ज़ थी
पर इतना पता है कि माँ फ़र्ज़ थी

मैं माँ की तर्ज़ था कि माँ मेरा तर्ज़ थी
पर इतना पता है कि माँ तर्ज़ थी

मैं माँ की जान था कि माँ मेरी जान थी
पर इतना पता है कि माँ जान थी

जिसका कोई सानी नहीं उस जैसी महारानी नहीं
वही कृष्णा की माँ थी वही सुदामा की माँ थी

वही मेरी भी माँ थी वही मेरी भी माँ थी

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-246 मेरी माँ
Sunday, June 25, 2017
Topic(s) of this poem: love,mother,mother and child ,relationship
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