A-282 बड़े ख़ुशनसीब हैं हम 5.6.17- 8.37 PM
बड़े ख़ुशनसीब हूँ मैं कि तुम्हारा प्यार मिला
बड़े मुद्दत के बाद तुम जैसा कोई यार मिला
कोई पूछे तो बताऊँ सच्चे यार की कहानी
अजनबी हूँ मैं फिर भी तुम्हारा प्यार मिला
तेरी कमसीन बाहों में सुखद आभास जो है
कटीली मुस्कान में ज़िन्दगी का राज़ मिला
ज़ुल्फ़ों के साये में मुझे मेरा हमराज़ दिखा
दुखः की घड़ी में मेरा साथी बेक़रार मिला
तेरे झगड़ों में मैंने तेरा आत्मविश्वास देखा
लुत्फ़ भी आया अपनेपन का साज़ मिला
बड़े ख़ुशनसीब हूँ मैं कि तुम्हारा प्यार मिला
बड़े मुद्दत के बाद तुम जैसा कोई यार मिला
Poet: Amrit Pal Singh Gogia "Pali"
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