Bapu Bhi... (Hindi) बापू भी .... Poem by S.D. TIWARI

Bapu Bhi... (Hindi) बापू भी ....

बापू भी ....

बापू भी असमान से जब जमीन पर देखता होगा
मेरे इस देश को किसने बिगाड़ा, सोचता होगा।

गांधी खुद परेशां है कि यह तश्वीर किसकी है,
जिसे नेताओं के हाथ दिया, वो तकदीर किसकी है।
कभी चिंता में डूबा, दुखी कभी हो रहा होगा।
बापू भी...

ज़माने भर कि मस्ती को नेताओं ने समेटा है
मंत्रियों ने सभी खुद को घोटालों में लपेटा है।
इन सा न कभी पहले, न कभी दूसरा होगा।
बापू भी...

चुनाव जीतने पर खुद को, वे खुदा समझते हैं
जनता का धन चुराकर, बड़े नेता ये बनते हैं।
अपने उत्तराधिकार को देख, वो झेंपता होगा।
बापू भी...

Tuesday, December 10, 2013
Topic(s) of this poem: hindi
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