मैं तेरी बच्ची थी
कोख़ में पलती थी
प्यारी प्यारी थी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
प्रभु ने बख्शी थी
गर्भमें रखी थी
मै खुद नहीं आईथी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
सुख से मैं सोती थी तेरी पाके झोली
ढ़ेर सारी परियां थी मेरी हमजोली
मेरे इस धरती पे
ख़ुशी से आने की
दुआ वो करती थी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
सपने संजोए थे माँ, मैंने मेरे मन से
लिपटी रहूँगी में माँ मैंतो तेरे तन से
पीऊँगी दूध तेरा
खिले तेरा चेहरा
मैं धन्य हो जाउंगी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
कितना भयानक, दिन था वो मनहूस
ज़रुरत नहीं है मेरी, किया ऐसा महसूस
जुदा मनसे किया,
निकालके फेंक दिया
मैं कर क्या सकती थी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
क्या तू जानती हैं माँ, रोई थी मैं कितना
मेरे साथ रो रहा था सारा स्वर्ग इतना
हुआ दुःख जब देखा
खुदा को खुद रोता
संभल नहीं पाई थी
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ
देवांशु पटेल
शिकागो
५ /१३ /२०१८
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I have read before the poem of Dr. Antony Theodore ''i Am Your Baby, Mum' and read today your 'गुज़ारिश' in hindi language. The theme is equal as to save human kids but you have inscribed this in slight difference and that is the feeling of society on importance of male kids. Beautifully presented. Thanks.