चलो चलें, उसके घर, मनाएं दिवाली
पड़ी बिना तेल के, दीया है खाली।
जलाते होंगे लोग, हजार दीप घर में
एक दीया जलाके, अँधेरे को भगा ली।
बिन के ले जाता, बचे मोम और तेल
रख लेती दीया जलाने, माँ संभाली।
खुश हो होकर देखे फूलझड़ी पटाखे
औरों ने छोड़े, खुशियां उसने मना ली।
होती होंगी मिठाई, किस्म किस्म की
खा लिया मग्न हो, माँ ने जो बना ली।
लाई थी माँ, दिया किसी का, जीर्ण वस्त्र
नया बताकर, दिवाली पर पहना दी।
चलो चलें, उसके घर, मनाएं दिवाली
एस० डी० तिवारी
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Sundar kavita..the other perspective..making do with lil and hand over things..still being happy..humbling thoughts..happy diwali 2015.