Dil To Mera Tor Diya Poem by milap singh bharmouri

Dil To Mera Tor Diya

दिल तो मेरा तोड़ दिया है
अब क्यों तरस खाते हो
गैर के हो कर के क्यों अब
मुझसे प्यार जताते हो

बफा की राह पे चल करके
हमने उम्र बिताई है
कबूल है हमको उसकी सब
उसने जो जताई है
वक्त -ए - कयामत है अब
तुम हमको क्यों भरमाते हो

ये दुनिया तो आगाज है इक
ये कोई अंजाम नही है
उड़ने वाले परवाज कहें पर
ये कोई परवाज नही है
ये तो इक भ्रम- सा है
मुझे सुनहरे फरिश्ते बताते है

दिल तो मेरा तोड़ दिया है
अब क्यों तरस खाते हो
गैर के हो कर के क्यों अब
मुझसे प्यार जताते हो

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