Knowledge Of Religion Poem by Ramesh Kavdia

Knowledge Of Religion

अल्लाह ने जो कहा
वो सिर्फ पैगम्बर ही समझ पाये
गॉड ने जो कहा
वो सिर्फ जीसस ही समझ पाये
कृष्ण ने जो कहा
वो सिर्फ अर्जुन ही समझ पाये
हम तो वही जानते है
जो किताबों में लिखा है
और किताबों का क्या
वो हर पीढ़ी अपडेट हो जाती है
निजी स्वार्थों के चलते
इंसानियत कहीं छिपी नजर आती है


-रमेश कावड़िया(कॉपीराइट)
समय 1.53pm
2.07.2015

Thursday, July 2, 2015
Topic(s) of this poem: religions
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