Love Suspense Poem by Tribhuvan Mendiratta

Love Suspense

प्रेम का एक पल
छिपा लेता है अपने पीछे
दर्द के कई कई बरस....
कुछ लम्हों की उम्र ज्यादा होती है, बरसों से!
[प्रेम की प्रकृति....होती है समझ के परे! ! ]
कोई आंधी मेरे को फना नहीं कर पाएगी,
मेरी मिटटी ने संजोया है मुझे तूफ़ान के लिए.
यादें अनमोल हैं, क्यों भूलने की जिद करूं, .
एक हो तो दिन लंग जाएं
हाँ तो हर दिन एक दास्तान है

Friday, March 6, 2015
Topic(s) of this poem: love
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