वो हैं आसमान और मैं हूँ ज़मीन
दिखता दूर मिलन पर हो ऩही
फिर भी एक आस है
वो मेरे साथ है
...
बसंत की मदहोश हवाओं ने
कुछ याद दिलाया होगा आज फिर
रिमझिम की बारिश
कभी गिरती कभी रुकती
...
Sundarta
'इन्तहा हो गयी अब रुक जा
एक पल ठहर् जा
सोचो, अगर वही नही तो
फिर कौन?
वो नही तो जीवन कंहाँ
कब तक?
सुन्दरता भी तो नही बिना उसके
खुद को मान भी लो अगर खुदा
तो प्रेम किधर से लायेगा?
चंदा को मामा
और लोरी सुनाने वाली माँ
किधर से लायेगा?
तो ठहरो उस माँ के लिये
सुन्दर प्यार के लिये|'