Sundarta Poem by Sharad Tiwari

Sundarta

'इन्तहा हो गयी अब रुक जा
एक पल ठहर् जा
सोचो, अगर वही नही तो
फिर कौन?
वो नही तो जीवन कंहाँ
कब तक?
सुन्दरता भी तो नही बिना उसके
खुद को मान भी लो अगर खुदा
तो प्रेम किधर से लायेगा?
चंदा को मामा
और लोरी सुनाने वाली माँ
किधर से लायेगा?
तो ठहरो उस माँ के लिये
सुन्दर प्यार के लिये|'

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