Ajay Srivastava Poems

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331.
My Father

My father is unique men in the world.
I do not have word to say thanks for giving me precious life.
His direction, his teaching & his love is always source of motivation in my life.
He fought for me & he is like a shield for every evil.
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332.
में हुँ बुराई

बहुत प्यार और सरलता से आ जाती हुँ ।
मान और सम्मान मिलता है मेरे होने से है।
तुम्हारा असतित्व सिर्फ और सिर्फ मेरे होने से है।
किसी में कम तो किसी में ज्यादा होती तो हुँ।
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333.
देश प्रेमी

यह इल्जाम नहीं हकीकत है।
चुप रहने वालो की वसीयत है।
वो खून भी करते है फिर भी वाह वाह लुट लेते है।
हम वंदना करके भी असभ्यता कि बुछार पाते है।
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334.
आनंद

आखो पर दिल का गूगल घुमा कर।
अपने मोबाइल पर व्हाट अप्प्स कर।
ढूढ ले किसी खूबसूरत बाला का नंबर।
लुभा ले मना ले थोड़ी सी मधुर चैट कर।
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335.
एहसास

वो तुम्हारे मधुर शब्दों का मेरे दिल को छू जाना।
तुम्हारे अधरों पर खिली मुस्कान जैसे किसी फूल की पंखुड़ी का खिलना।
वो तुम्हारा मुझे एक टूक देखना और पलकों का झुकना।
तुम्हारी नर्म उंगलियो का स्पर्श जैसे एक पल का रोमांच।
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336.
हाँ तुम होती

पल पल प्रतिपल दिल पर आहट।
तुम्हारे मेरे पास होने का एहसास ।
हर परेशानी कष्ट को भूल कर।
हा तुम हो मेरे साथ हर पल में।
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337.
सम्पूर्ण

फूल से तुलना करू
तुम्हारा होना एक खूबसूरत एहसास
जो आस पास के वातावरण को सुगन्धित कर दे।
एक बेल से तुलना करू
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338.
तुम

तुम हो तो हम है।
हमारे होने की पहचान हो तुम।
तुम हमारी शक्ति का प्रतिक हो।
तुम मोहकता की मूर्ति हो।
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339.
तुम ही बताओ

रंग में रंगने वाली।
साथ में हाथ मिलने वाली।
हर पल में होने वाली।
वातावरण की खुशबु हो तुम।
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340.
क्यों रुक जाये

वो कहते है अब और नहीं।
हम कहते है अभी तो शुरुवात है।
वो कहते है अब रुक भी जाओ।
हम कहते है अभी तो चले ही कहाँ।
...

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