हाँ तुम होती Poem by Ajay Srivastava

हाँ तुम होती

पल पल प्रतिपल दिल पर आहट।
तुम्हारे मेरे पास होने का एहसास ।
हर परेशानी कष्ट को भूल कर।
हा तुम हो मेरे साथ हर पल में।
एक सुखद स्वपन लहर की तरह।
दिल की हर धड़कन में पल पल प्रतिपल।
तुम्हारे होने की अनुभूति।
एक अलग संसार में होने का
रोमांच अनुभव करा जाती है।
सोचने को विवश कर देती है तुम्हारी आहट
काश हकीकत में भी तुम मेरे साथ होती।
हाँ तुम होती, हाँ तुम होती
अपने आप में सम्पूर्ण होने का एहसास करा जाती।

हाँ तुम होती
Thursday, November 5, 2015
Topic(s) of this poem: need for human
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Ajay Srivastava

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