प्राप्त कर लेगा हर लक्ष्य.।
रहा की हर बाधा पर कर लेगा.।
न तो कोई उससे प्रतिस्पर्धा कर सकेगा कोई रोक सकेगा.।
जहाँ जहाँ वो जाएगा रोशन कर देगा वातावरण.।
यही है उसका उद्देश्य और चाहत उसकी.।
थोड़ा सा साहस कर.।
बना ले सिद्धांतो को अपने जीवन का हिस्सा.।
रहा खुद पूछे तेरा लक्ष्य.।
बढ़ता चल आगे हर अड़चन को पीछे छोड़.।
बन जा तू अप्रजित, क्यों की यही है अस्तित्व तेरा।
बढ़ता चल आगे हर अड़चन को पीछे छोड़.। बन जा तू अप्रजित, क्यों की यही है अस्तित्व तेरा।.......yes, go ahead and get the goal. So nicely and aptly depicted. A marvellous poem I like most. Thanks for sharing.....10
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बढ़ता चल आगे हर अड़चन को पीछे छोड़.। बन जा तू अप्रजित, क्यों की यही है अस्तित्व तेरा।.......yes, go ahead and get the goal. So nicely and aptly depicted. A marvellous poem I like most. Thanks for sharing.....10