किसी को अहम नाम का ।
ना चाहते हुए भी ईर्ष्या का।
तो कोई भ्रष्टाचार नाम के ।
तो कोई हिंसा नाम के ।
समय समय पर जाती भेद व् लिंग भेद का ।
समय समय परधार्मिक उन्माद का ।
कभी कभी युद्ध करने का ।
कभी कभी भोग विलास का।
प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समय
इन कीड़ो से जुड़े रहने में अपनी शान समझता है।
कोई तो बताओ इन कीड़ो से छुटकारा पाने का उपाय।
बुराइयाँ अच्छइयों के मुकाबले व्यक्ति को जल्दी पकडती हैं. वाकई इन कीड़ों से छुटकारा आसान नहीं. श्रेष्ठ कविता.
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Verily, man takes interest in such insects and nourishes them and calls them his pride....10