दिखा दो Poem by Ajay Srivastava

दिखा दो

भाव से सम्बन्ध है|
सम्बन्ध से परिवार है|
परिवार से एकता है|
एकता से समाज है|
समाज से देश है|
देश से हम है|
सीधी सी सरल सी बात|
फिर किस बात की लडाई|
तेरा, मेरा और हम सबका
भारत देश हम सबका है|
अपनी अवगुणो कौ जो दिखाते हो
उसको छूपा लो|
अपनी गुणो को जो छुपाते हो
उसको दिखा दो |
विशवास करो हर शिकायत दूर हो जाएगी|
संकोच मत करो कदम बडाऔ यही सही राह है|

दिखा दो
Thursday, December 3, 2015
Topic(s) of this poem: expression
COMMENTS OF THE POEM
Manonton Dalan 03 December 2015

i wish i could read this..it must be beautiful

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