रूपयवा भगवान हो गईल (भोजपुरी) Poem by Upendra Singh 'suman'

रूपयवा भगवान हो गईल (भोजपुरी)

रूपयवा भगवान हो गईल,
जिनगी हमार हो हराम हो गईल.

ये ही के बटोरे में दुनियाँ बेकल बा,
ये ही से लोगवा क आज अउर कल बा,
देखा इ कइसन विधान हो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

इहे ह माई आ इहे ह दादा,
एकरे बिना ‘सुमन’ भइला नखादा,
पइसावाला गबरा परधान हो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

इहे ह देवता आ इहे ह पित्तर,
इहे बनावत बा सबक चरित्तर,
ई बेईमनवन क शान हो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

ए ही खातिर लोगवा करे चोरी छिनारी,
एकर नशा ह शराबो से भारी,
चक्कर में एकरे ईमान खो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

एहि बदे चलत बा बम अउर गोली,
खेलेलं लूटेरवा खून क होली,
इंसानियत क मान खो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

रूपया खातिर लड़ी मरलं बेटऊवा,
भरल नाहिं बुढऊ क अबहीं उ घउवा,
घरवा मशान हो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................

लोगवा कहेला नालायक ह बेटवा,
नोकरी ना चकरी भरी कइसे पेटवा.
गउवां हमार हो परेशां हो गइल.
रूपयवा भगवान हो..............................
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’

Sunday, December 6, 2015
Topic(s) of this poem: madness
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