पागक-मान
***********
उत्तर हिमालय पूरव कोसी कमला बलान अछि
पश्चिम बहथि गण्डकी दक्षीण गंगा निशान अछि
थिकहुँ हमसभ मैथिल हमर मिथिलामे गाम अछि
आन-वान-शान हमर 'पाग' स्वाभिमान अछि ॥
मैथिलीक मिट्ठ भाषा हमर मिसरी समान अछि
विद्याधनसँ विभूषित हमर आंगन दलान अछि
मिथिलाक वासी सभकियो मैथिल सन्तान अछि
आन-वान-शान हमर 'पाग' स्वाभिमान अछि ॥
मिथिलाक माँटिसँ हमर रग-रग जुआन अछि
जुआन-बुढ़-बच्चा हमरा सभपर गुमान अछि
जाति-रंग ने भेद-भाव सबहक सम्मान अछि
आन-वान-शान हमर 'पाग' स्वाभिमान अछि ॥
तिरहुत तिरभूक्ति मोक्ष-मुक्तिक वरदान अछि
बौद्धिक आध्यात्मिक चौतरफा गुणगान अछि
भौतिक समृद्धिक खातिर सामूहिक ध्यान अछि
आन-वान-शान हमर 'पाग' स्वाभिमान अछि ।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem