तुमको और तुम्हारे वजूद को
अपनी जि़न्दगी़ से
तमाम गश्त खा़ती यादों को
हमेशा के लिए
वक्त की नदी में प्रवाहित करने का
फ़ैसला किया है,
ताकि,
अपने आने वाले कल में
तुम्हारी कोई भी याद
मेरी जि़न्दगी़ को
कोई नुकसान ना पहुँचा सके,
कितना अजीब है ना
जिस शख़्स को
जिन यादों को
कभी इतनी शिद्दत से चाहा था
संजोया था,
आज उसी शख़्स को
उसकी दी यादों को
भुलाने की कोशिशें हो रही हैं,
लाहासिल सी कोशिशें ।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
जीवन फूलों का बिस्तर ही नहीं काँटों की डगर भी है जिस पर चलना आसान नहीं. कई कई ज़ख्म झेलने पड़ते हैं जिन्हें भुला पाना भी किसी इम्तहान से कम नहीं होता. इन्हीं मनोभावों की अभिव्यक्ति है यह खुबसूरत नज़्म. मेरा धन्यवाद. ....यादों को.... हमेशा के लिए वक्त की नदी में प्रवाहित करने का फ़ैसला किया है.... जिन यादों को कभी शिद्दत से.... संजोया था....