तेरा - मेरा Poem by Ajay Srivastava

तेरा - मेरा

तेरा धर्म मेरा कर्म है |
कर्म ही धर्म का सार है |

तेरा काम मेरी ईच्छा है |
ईच्छा ही काम की अनुभूति है |

तेरा क्रोध मेरा अहित है |
अहित क्रोध का सार है |

तेरा प्यार मेरा सोहाद्र है |
सोहाद्र ही प्यार का आधार है |

तेरा मोह मेरा आकर्षण है |
आकर्षण ही मोह की राह है |

तेरा धन मेरा परिक्षरम है |
परिक्षरम ही धन का स्ञोत है |

तेरा - मेरा
Monday, February 29, 2016
Topic(s) of this poem: future
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