शोषण Poem by Ravi Yadav Amethiya

शोषण

वो तेरा इंतज़ार करना रास्तों में याद है,
कभी तो आओगे तुम, इस तरफ इस डगर।
पर उनकी होशियारी मालूम ना थी हमें,
किसी रास्ते किसी और के साथ, चले गए मगर।

~रवि यादव

Wednesday, May 25, 2016
Topic(s) of this poem: corruption
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