इंडियन आर्मी Poem by Shashi Shekher Singh

इंडियन आर्मी

आँधिया रास्ते क्या रोकेंगे,
ये खुद तूफान से चलते हैं।
हर जर्रे कांपते है जनाब,
जब आर्मी गस्त पे निकलते है।
हौसलें इनके पस्त कर दे,
ऐसा माई का लाल नही।
इनके वार से बचा दे,
बनी ऐसी कोई ढाल नही।
थर्राती है धरती भी,
इनके पैरो के टाप से।
फिर क्यों जबान चलाता है,
पाकिस्तानी तू अपने बाप से।
अपनी पे आ गए तो,
समंदर भी सुख देंगे।
उसमे जितना था पानी,
तेरा रक्त बहा देंगे,

इंडियन आर्मी
Tuesday, August 15, 2017
Topic(s) of this poem: patriotic
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Shashi Shekher Singh

Shashi Shekher Singh

Lakhisarai, Bihar
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