कैसे होगा अब भला? * Poem by C. P. Sharma

कैसे होगा अब भला? *

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मोहब्बत बड़ी चीज है
इसमें भूख न सताए
फ़क़त प्यार के दो बोल से
बस पेट भर जाए

अब भूख बढ़ गई है
जीवन बन गया व्यापार
मोहब्बत की बोली लगती है
सरेआम खुले बाज़ार

फिर भी पेट भरता नहीं
करते हैं कत्ले आम
दहशत का बोलबाला है
दहशत को है सलाम

डरा डरा सा रहता है
अब सब जग़ह इंसान
चाहे वोह अमेरिका हो
या फ़िर हो हिन्दुस्तान

झूठ का है बोल बाला
सच्च का है मुंह कला
मुद्रा के नाप तोल से
कैसे होगा अब भला?

मोहब्बत बड़ी चीज़ है
बे परवाह हो सोइए
इसमें न कोई ख़ौफ़ है
न सुख चैन खोइए

*प्रेरणा स्त्रोत: Suman Pathak जी की पंक्तियां 'दोपहर तक बिक जाएगा जमाने का हर झूठ'

कैसे होगा अब भला? *
Sunday, June 19, 2016
Topic(s) of this poem: love,violence,hate,falsehood
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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