सुरों के बीच बसने की चाहत है,
बेख़ौफ़ उड़ान भरने की आदत है।
लहरों को टटोल कर रोकने की दर्त्याफ्त है,
सपनो को ओझल होने से रोकने की फ़रियाद है।
बूंदों को पकड़कर झूलने की आस है,
जुगनुओं से लिए थे, वो उजाले पास हैं।
बादलों में घर बनाने की बेकरारी है,
वक़्त की मुझ पर थोड़ी सी उधारी है।
आसमान से आज बहस की तैयारी है,
ये धरती सारी की सारी हमारी है।
बेवजह मुस्कुराना कहाँ भारी है,
गर मैं जीता हूँ तो तू भी कहाँ हारी है।
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बहुत अच्छा ख्याल पेश किया आपने. डेरों दाद.10++ वाह वाह क्या ज़बरदस्त तैयारी है दोनों में बराबर की यारी है कौन कहेग समंदर पीता नहीं आसमान जीवन की यही समझदारी है
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Harna zaroori hai. Waqt ke oodhari hai Aasman se aaj bahas karne ki tayari hai.