ना कोई उसूल बाक़ी है न ज़मीर बाक़ी है
और न ही उम्मीद ए तक़दीर बाक़ी है
अपना जिन्हें भी समझा
वो ही हुये पराये
वो दिल कहाँ से लायें जो तुमको भूल जाये
जो चाहो अब मेरी तस्वीर समझ लो
जो टूटा है हमेशा वो ताबीर समझ लो
न तुम समझ सके न हम ही कह पाये
डराएंगे हमको अबतो इन मोहब्बतों के साये
वो दिल कहाँ से लायें जो तुमको भूल जाए
मेरी उल्फ़तों का सिला यही हुआ
हम राज़ी ना हुए गिला यही हुआ
इस टूटे दिल का फ़साना
जाकर किसे सुनायें
जो तुमको भूल जाए
वो दिल कहाँ से लायें...
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