ये राजनीति छोड़ दें Poem by Rahul Awasthi

ये राजनीति छोड़ दें

Rating: 5.0

आप से अनुरोध है ये राजनीति छोड़ दो
कुछ खड़े हैं सूट में कुछ आज भी निर्वस्त्र हैं
क्या बताये किस तरह से देश अपना पस्त है
जनता मरे तो मरे मगर नेता खुदी में मस्त है
क्या बताये देश में ये कौनसा जनतंत्र है|
देश की लुटती इस आबरू के वास्ते आपसे अनुरोध है ये राजनीती छोड़ दो
रो रहे नंगे खड़े इन बालको के वास्ते आपसे अनुरोध है की राजनीती छोड़ दो
देश के कच्चे मकानों में जिनकी ख़ुशी नीलाम है
उन गरीबो की गरीबी का उपहास करना छोड़ दो
ये राजनीति छोड़ दो
रो रही है माँ बहन हर गली हर गाँव में
क्या बताये नाँव पानी में है या पानी है नाँव में
देश की इस बेहाल सत्ता व्यवस्था के वास्ते आपसे अनुरोध है ये राजनीती छोड़ दोI

Sunday, August 7, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,indian,social
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
भारत की वर्तमान दशा पर कुछ पंक्तिया......हर बात पर देश में राजनीति पर कुछ पंक्तिया।
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 07 August 2016

Bahut Badiya...Dil choo lene vali kavita...10+++

2 1 Reply
Rahul Awasthi 07 August 2016

धन्यवाद भाई जी

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