इन आँखों में
एक अनकही सी आस
एक अनबुझी सी प्यास
तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी
मगर
मगर मै जब भी तुम्हे सोचूँ
तो कुछ आँखों से गिरता है
कही पर दर्द होता है
फिर एक वेहम होता है
कही सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है
मगर
मगर ये सच नही होता...मगर ये सच नही होता
की अब तुम नही आती
बस तुम्हारी याद आती है
मै जब भी तुम्हे सोचूँ
तो
तो मै हार जाता हूँ
जब भी किसी के सर पर
हाथ माँ का देखू
तो
तो कुछ आँखों से गिरता है
कही पर दर्द होता है
फिर एक वेहम होता है
किसी सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है
मगर ये सच नही होता..मग़र ये सच नही होता
की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती है
की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती हैll
Speechless..... Loved your poem........ Maa bless you ever
You made me cry.....such a poignant poem.....no one can fulfill her space no one in this universe in fact god can't himself can take his place.....loved it :)
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Miss u mom...dil ki baat aapne likh di hai