कुरु मे मँगलम् सदा Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

कुरु मे मँगलम् सदा

गणेश: गजाननः गणनाथ: गणाधिपः।
विघ्नराज: विघ्नहर्ता एकदन्तँ लम्बोदरं।।
विनायक: शँभु सुवनं उमा अँक विराजितं।
विष्णुप्रिया प्रियँ देव, कुरु मे मँगलम् सदा

Tuesday, June 6, 2017
Topic(s) of this poem: religious
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