'हैप्पी बर्थ डे यू' Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

'हैप्पी बर्थ डे यू'

आज भरे इस महफिल, खुशियों की भरमार है।
द्वितीय वर्षगाँठ जन्म की, उमँग आनँद अपार है।।
बैलून पटाखे चटक रहे, दुधिया उजाला दीख रहा,
चारोंओर शमां रँगीन बनी, इधर-उधर दमक रहा,
सजे रँग-बिरँगे कालीन, मखमली कोमल गुदगुदी,
नन्हें बालक के मचलने-उछलने का ही इँतजार है।
लोग आ रहे, हाथ मिला रहे, भरतीं खचाखच कुर्सियाँ,
करते अभिवादन एक-दूजे का, गूँजतीं हँसती बोलियाँ,
दसन दुतिमय दमक रहे, अधरों पर उभरते मुस्कान,
सबके एक साथ ताली बजाने सुर में छिपा बहार है।
आ गया, अब सामने नन्हा बालक, भोला सुँदर.प्यारा,
आकर सबको चूमता वह, समाँ देख रहा जग सारा,
सुर-सँगीत सुन झूम रहा वह, देख किलकारी भर.रहा,
'नवीन'नव जन्म दिवस 'हैप्पी बर्थ डे यू', सुर सँसार.हैः

Saturday, June 10, 2017
Topic(s) of this poem: childhood
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