ओम पुरी जिन्दा है - बृजमोहन स्वामी Poem by Brijmohan swami

ओम पुरी जिन्दा है - बृजमोहन स्वामी

मेरे बाथरूम में
एक अनोखा प्रयोग चल रहा है/
दरवाज़ा बन्द कर के/घण्टों बैठा रहता हूँ.. घुटन की साँस लिए/हर रोज़
सोचता हूँ 'आज क्या मैं ईमानदार नहीं रहा? '(जो कि सरेआम क़त्ल करने वाली कविता लिखता हूँ)
एक नौसिखिया जादूगर,
जो सरेआम क़त्ल जैसा
कुछ कर जाता है,
उसकी जिम्मेदारी एक संगठन ले लेता है
वह जादूगर
लोगों की जीवन-शैली में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है।
(संगठन कि ऊर्जा एवं चिंतन से प्रभावित हूँ)

काले कपड़ों में लिपटा
एक इंसान कहता है
कि उसने सपने मेंसड़कों पर दौड़ते वाहनों से /बिजली पैदा करने की विधि विकसित की है।

एक दिन आपकी टूथपेस्ट में नमक नही होगा..
और आप 'लक्षमणरेखा' खाकर/ आत्महत्या जैसा/
कोई कोमल कदम उठा लोगे।

अंटार्क्टिका का मौसम
बिरले ही पाले और बर्फीली हवाओं से मुक्त रहता हैं,
पर इसी बर्फीली हवाओं की आड़ में/
इंसानी बस्ती की एक लाल लिपस्टिक के लिए लाल खून जैसा खेल मैंने देखा है।वे
मनुष्य के जीवन को
समृद्ध और आरामदायक बना सकते हैं।

मेरे दिमाग का 'पश्च मष्तिष्क'
यह समझता है
कि
मासूम जनता को/ छोटे-छोटे प्रलोभनों द्वारा आसानी से खरीदा जा सकता है।
लेकिन
मैं अपने दिमाग को रौंदकर
अपनी गर्दन को
उस शोरूम में लेकर जाना चाहता हूँ
जहाँ
विचारों की अभिव्यक्ति का गला घोटा जायेगा।अभी तक इंसान ने
रोका हुआ था खुद को,
आप अपनी टिप्पणियों में
गुप्त अंगों का नाम लेते हुए एक से
दस तक जिनती संख्याएँ गिन सकते हो/
उतनी संख्यां में हर सेकण्ड /एक इंसान मर जाता है।

एक दिन
हम लोगों को
मौत के वैकल्पिक प्रश्न का सरल उत्तर समझ में आयेगा,
अगर नहीं आयेगा तो
हम उसे थोड़ा सा बदल देते हैं, ताकि उत्तर दिया जा सके।

सड़कों पर लड़की जैसी कोई चीज़ / ऊर्जा काधड्ड्ले से अपहरण हो जाता है
हम अपने अंतर्मन से कुछ नही पूछ सकते।

हवस की फ़िल्म के हसीन वक़्त
(बलात्कारी की नज़रों में)
दिमाग और चमड़ी भी इतनी मोटी हो जाती होगी कि
खुजली मिटाने के लिए कोई साधारण नाखून पर्याप्त नहीं होते।

एक दिन,
हड्डियों की मौत की सिरीज़ का
सिरियल नम्बर वहीं से शुरू होगा
जहां तक उर्दू मे लिखा गया था- कत्ले आम।

मैंने जीव विज्ञान में महसूस किया था
कि
भारतीय गैंडे में केवल एक सींग होता है।
वह अफ्रीकी गैंडे से थोड़ा बड़ा होता है।

आप निश्चिंत रहें,
कुदरत ने
अपने सभी पुत्रों के आराम की व्यवस्था की है।आप अपने कोलगेट की गर्दन मरोडिये
तब तक ओम पूरी जिन्दा रहेंगे।

(दिवार पर लगी 'ग्राहम बेल' की ब्लैक एन्ड व्हाइट फोटो जब भी रोने की शक्ल में हंसती है तो मैं नमकीन कविता लिखता हूँ)
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© कवि बृजमोहन स्वामी 'बैरागी'

05/04/2017

ओम पुरी जिन्दा है             - बृजमोहन स्वामी
Wednesday, July 12, 2017
Topic(s) of this poem: hindi,love and dreams,magic,remembrance,revolution
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ओम पुरी जिन्दा है (hindi poem by brijmohan swami)
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