सुखदात्री अखिल ब्रह्माँड नायक Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

सुखदात्री अखिल ब्रह्माँड नायक

जय जय जानकी पदकमल।

सुखदात्री अखिल ब्रह्माँड नायक
राघव नयन कमल।
प्रपन्न आर्त भक्त जन भय विनाशकतृ^,
बैदेही पद गुल्फ तल।।

महिमा गरिमा वैभव सौंदर्य गुणखानि,
ज्योति राजत जनु रविपुँज।
भावमयी करुणामयी देवि! ,
लखहु निज नयन कँज।।

हे कृपामयी देवि! अति रमणीय,
तव पद अरुणार विमल।
चाहऊँ अनन्य शरण,
मति बसै सदा तव पद युगल।।

सिद्धि-बुद्धि -मोद प्रदायक,
सुख सव^स्व श्रेयस्कर ।
रघुबर अँक सुख प्रदायक,
करत कृपापूणा^ करुणामयी दृगवर।।

करौं सेवा इत्र पदत्राण सुसेव्य,
निरखौ एकटक चरण कमल।
"नवीन"नव-नव अनुदिन अनुराग बढ़ै
चाहै सदा मति ह्दय धवल।

Sunday, April 22, 2018
Topic(s) of this poem: love
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