जय जय जानकी पदकमल।
सुखदात्री अखिल ब्रह्माँड नायक
राघव नयन कमल।
प्रपन्न आर्त भक्त जन भय विनाशकतृ^,
बैदेही पद गुल्फ तल।।
महिमा गरिमा वैभव सौंदर्य गुणखानि,
ज्योति राजत जनु रविपुँज।
भावमयी करुणामयी देवि! ,
लखहु निज नयन कँज।।
हे कृपामयी देवि! अति रमणीय,
तव पद अरुणार विमल।
चाहऊँ अनन्य शरण,
मति बसै सदा तव पद युगल।।
सिद्धि-बुद्धि -मोद प्रदायक,
सुख सव^स्व श्रेयस्कर ।
रघुबर अँक सुख प्रदायक,
करत कृपापूणा^ करुणामयी दृगवर।।
करौं सेवा इत्र पदत्राण सुसेव्य,
निरखौ एकटक चरण कमल।
"नवीन"नव-नव अनुदिन अनुराग बढ़ै
चाहै सदा मति ह्दय धवल।
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