हमने तुमको था पुकारा, तुमने पलट देखा नहीं; Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हमने तुमको था पुकारा, तुमने पलट देखा नहीं;

हमने तुमको था पुकारा, तुमने पलट देखा नहीं;
हम कर सकते अब क्या, आसमां तकते रह गये

Friday, September 14, 2018
Topic(s) of this poem: love
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