जीते जीते न ली खबर मेरी,
अब तू आयी मेरी कबर मे,
और फूल चढ़ा के चल पडी़;
पता तो तब चला,
तेरे आने की खबर से
मेरे उजडे हुए कबर मे,
बादल बिजली गिरा के गरज पडे;
न तू ने समझा न मैंने,
फिर भी साथ रहे,
मन से अनेक होने के बाबजूद;
पता भी न चला,
कैसे वक्त गुजर गया;
कफन मे भी तू कोसती रही,
और मै चला गया;
© Sadashivan Nair
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