तमन्ना Poem by Nitesh K. mahlawat

तमन्ना

Rating: 3.5

कुछ करने की तमन्ना है,
कुछ बनने की तमन्ना है!
कुछ खोने की तमन्ना में,
कुछ पाने की तमन्ना है!
कुछ राहों को आसान,
बनाने की तमन्ना है!
तमन्ना हो पूरी,
ये भी तमन्ना है!
रहे ना अधूरी कभी,
ये तमन्ना है! !

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
The first poem that I wrote after the failure of my 4 years hard work for iit-jee!
Inspired by *my mom
12/6/2012
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