बसंत ऋतु Poem by nandita sinha

बसंत ऋतु



मन में हरियाली सी आई,
फूलों ने जब गंध उड़ाई,
भागी ठंडी देर सवेर,
अब ऋतू बसंत है आई.

कोयल गाती कुहू कुहू,
भंवरे करते हैं गुंजार,
रंग बिरंगी रंगों वाली,
तितलियों की मौज बहार.

बाग़ में है चिड़ियों का शोर,
नाच रहा जंगल में मोर,
नाचे गायें जितना पर,
दिल मांगे 'Once More'.

होंठों पर मुस्कान सजाकर,
मस्ती में रस प्रेम का घोले,
'दीप' बसंत सीखाता हमको,
न किसी से कड़वा बोलें.

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inspired by बसंत ऋतु
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