जो कोई मुझे रंगरेज़ बनाए
यूँ अवसर दे अपने देश को रंगने का
लाल न होगा रंग कभी
लाल प्रतीक है
कुर्बानी का
बलिदान का
देश के लिए परित्याग का
पर आज नही कोई त्याग है करता
ओर न ही
कोई आदर है करता
स्वतंत्रा मे दिए गए बलिदान का
बल्कि जिस माँ के लाल कहलाते है हम सब
उसी का सीना लाल कर देते है
जात पात क नाम पर
धर्म के नाम पर
खून तो सबको लाल ही दिया है माँ ने
तो व्यर्थ मे बहाके देखना क्यू है
बहाना ही है तो धरती माँ के आँचल
की इज्ज़त क लिए बहाओ
उनकी रक्षा क लिए बहाओ
तभी लाल कहलाने को साक्ष्य करोगे
खुद को भी
ओर
खुद के खून को भी
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