आया होली का त्यौहार Poem by Vivek Tiwari

आया होली का त्यौहार

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आया होली का त्योहार
लेके खुशियां प्यार अपार
फेंके एक दूजे पे गुलाल
मिला के हरे गुलाबी लाल.

हो भर के लाल रंग में प्यार
खुशियों कि फेंको बौछार
डालो पीले का आनंद
भरके पिचकारी में उमंग

खेलो हरे रंग ली होली
उड़ाओ सुख समृद्द्घि की रोली
नीले में भर के विश्वास
उड़ाओ खुशिओं का एहसास
की आया होली का त्यौहार...

हो उड़ने दो बंधुत्व तरंग
फेंको भाव के भर-भर रंग
चढ़ जेन दो मीठी गोली
फिर भी खेलो जैम के होली
कर दो आसमाँ रंगीन
रूट है आयी गजब हसीन.
फेंको एक दूजे पे रंग
मिला के हरे गुलाबी लाल
कि आया होली का त्यौहार....

चलो होलिका दहन करे
ईष्र्या और द्वेष का दमन करें
जला दे सरे कटू विचार
मनाएं होली का त्यौहार.

नफ़रत की दे-दे आहुती
चलो लगाएं प्रेम विभूति
प्रेम के रंग में सब रंग डाले
नफ़रत का कटरा न पाले
कि आया होली का त्यौहार
लेके खुशियों प्यार आपार.
कि फेंके एक दूजे पे गुलाल
मिला के हरे गुलाबी लाल
कि आया होली का त्यौहार.....

Saturday, March 15, 2014
Topic(s) of this poem: Religious
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Vivek Tiwari

Vivek Tiwari

Gaura (R.S.) Pratapgarh
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