कुछ अनकही बातें Poem by Horeram Tanti

कुछ अनकही बातें

बातों को जब,
कर सकते नही ब्यां;
आगे किसीके,
बड़े ही विश्वास के साथ
क्या करुं, क्या न करुं?
चिन्ताओं में डूबे रहकर;
करते हो समय क्यों बर्बाद।

कोई तो होगा,
नही, कोई तो हैं;
चिन्ताओं का गांठ खोलकर,
बड़े ही विश्वास के साथ,
झरना की तरह।
बहा दे सकते हो?
आंसू के साथ।

ईश्वर।
हाँ, वह ईश्वर है।
यीशु के द्वारा खुदको,
प्रकट किया।
धूटनों के बल होकर,
उण्डेल दो हर एक बात।
दिल शांत न होनेतक;
आंसु तुम्हारा,
आनन्द में बदल जाएगा।

Sunday, November 9, 2014
Topic(s) of this poem: spiritual
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