मिलन ऐसा हो, ओ गोरी, की दुनिया भूल न पाये Poem by Abhishek Omprakash Mishra

मिलन ऐसा हो, ओ गोरी, की दुनिया भूल न पाये

पास आ जाओ कुछ इतना साँस से साँस टकराये
पिला दे ज़ाम नयनों का, मुझे कुछ और बहकाये
मैं तुझमे यूँ समां जाऊं, कभी तू मुझमे खो जाये
मिलन ऐसा हो, ओ गोरी, की दुनिया भूल न पाये

''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''

Sunday, December 28, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
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