पास आ जाओ कुछ इतना साँस से साँस टकराये
पिला दे ज़ाम नयनों का, मुझे कुछ और बहकाये
मैं तुझमे यूँ समां जाऊं, कभी तू मुझमे खो जाये
मिलन ऐसा हो, ओ गोरी, की दुनिया भूल न पाये
''कवि अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा''
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