जनम मेरा जननी को समर्पित
मृत्यू मेरी अमृत को अर्पित
जीन हाथो ने सम्भाला मुझको
हयात उन्हीं हाथो को समर्पित
जीन कदमों ने चलना सिखाया
कमल उन्ही कदमों को समर्पित
(डॉ. रविपाल भारशंकर)
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